लहर
लहर
बारिश के मौसम में आधा साफ आसमा,
नीचे समंदर से निकलती लहरें,
जब दम तोड़ती थी किनारे आके,
कुछ अंश था उनका वो वापिस मिलता था,
आने वाली उन दूसरी लहरों से,
मैं घंटों तक ताकती रही उन लहरों को,
दूर समंदर में जब वो बनती थी,
प्रचंड बल से उभरती और बह चलती,
आदि और अंत का का उदाहरण बतलाती,
विचलित से मेरे मन में सुकून की लहर उठी,
जो सामने था वो शायद मेरे भीतर भी हुआ,
दूर बादल बिखर के समुद्र से मिल रहा था,
बादल सूर्य की आड में चांदी किनारी बना रहा था,
सूर्य भी अपनी लालिमा फैला रहा था,
शाम की सुकूनभरी हवा चेहरे से लिपट रही थी,
मन शांति की आगोश में धीरे धीरे जा रहा था,
कुदरत का कमाल था, मन सुकून में डूब रहा था।
It's nice to read this... The feelings u mentioned in yor words are heart touching..
ReplyDelete♥️
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