दूधसागर जलप्रपात : जब प्रकृति में मिला सुकून का क्षीरसागर
पिछले कुछ दिनों के व्यक्तिगत संघर्ष के बाद, मुझे एक ब्रेक की सख्त ज़रूरत थी। शुक्रवार को मैंने और जैस्मिन ने कहीं बाहर जाने का मन बनाया और अचानक ही दूधसागर जलप्रपात (वॉटरफॉल) ट्रेक का प्लान बन गया। हम ट्रेक से एक दिन पहले मडगाँव पहुँचे और अगले दिन सुबह जल्दी कुलेम तक ट्रेन ली, जहाँ से हमारी ट्रेकिंग शुरू होनी थी। सुबह के 8:30 बजे, हमारा आठ लोगों का ग्रुप घने जंगल की ओर चल पड़ा। यह भगवान महावीर नेशनल पार्क और वाइल्ड लाइफ सेंचुरी का हिस्सा था।
जंगल में पेड़ पौधे बारिश की वजह से काफी फले फुले थे। पानी के बहने की आवाज आ रही थी। मौसम साफ व खुशनुमा था। बीच बीच में पानी में गुजरते हम आगे बढ़ रहे थे। हम करीब ८ किमी चलने के बाद ब्रेक लिए। मैं दूरबीन लेके दूर दूर की पहाड़ीया देख रही थी। वो एक मैदान था जहां मैं बैठ गई और आजूबाजू घूमती तितलियां और ड्रैगन फ्लाइस को देख रही थी। सब ने चाई पी और आगे बढ़ चले।
थोड़ी देर बाद बारिश शुरू हुई। थोड़ा भीगे की दूर से दूधसागर दिखने लगा। दूर से ऊपर पहाड़ी से निकलता हुआ विशाल वॉटरफॉल सुंदर दृश्य बना रहा था। मैने दूरबीन से वॉटरफॉल देखा। उसकी डिटेल्स दूरबीन में काफी क्लियर और नजदीक दिख रही थी। हम थोड़ा और ट्रैक करके वॉटरफॉल के सामने पहुंचे। उसका प्रवाह देखने लायक था। मैं सामने पत्थर पर बैठी। वॉटरफॉल की बौछारें कितनी दूर से पूरे शरीर पर लग रही थी। एक अच्छी हाइट से वॉटरफॉल का पानी प्रचंडता से, पत्थर से टकराके नीचे की ओर गिर रहा था। इसके अलावा वो आजूबाजू भी गिर रहा हो ऐसा दृश्य बना रहा था। मैं काफी समय तक पानी की शक्ति को देख रही थी। मन में हलचल थी पर कुछ क्षण दूधसागर की शीतलता व गति मुझे उस समय में स्थिर कर रही थी। गाइड मुझे खोया देख पूछने आए की यही रुक जाने का इरादा है क्या?
हम वापिस निकले और एक जगह खाना खाने रुके। पूरे ट्रैक मे फ्रूट्स और पानी से ही काम हो गया था। ग्रुप में लोग बंगलौर, गुजरात से आए थे। कुछ बुजुर्ग थे कुछ हम उम्र। उन लोगों ने घर से लाए राइस खिलाए। हम करीब 2 बजे वापिस चले। मौसम सुहाना हो रहा था, जंगल के पेड़ की खुशबू, झरने के पानी की आवाज और कही कही अत्यंत शांती में कुछ पक्षी की चहचहाट। चारों ओर घने लंबे पेड़, दूर दूर घना जंगल और बीच के रस्ते में हम चल रहे थे बिना कुछ बोले। एक समय आया जब न मेरे आगे कोई लोग थे न पीछे। मैं जहां जा रही थी वहां दो तीन रास्ते निकल रहे थे। मैं थोड़ी देर रुकी की कौन सा रास्ता सही हो सकता है। एक रास्ते से कुछ लोग आते दिखे जो वॉटरफॉल की ओर जा रहे थे, मैं उसी रस्ते पे वापिस जाने के लिए चल दी। थोड़ी देर बाद एक जगह पहुंची जहां हमारे ग्रुप में से एक अंकल खड़े थे। थोड़ी देर बाद बाकी लोग भी आ गए। सभी से कुछ न कुछ बाते हुई,मस्ती मजाक करते सब लोग रेलवे ट्रैक पे पहुंचे।
हमारे गाइड ने वापसी में जंगल से जाने के रास्ते की जगह ये छोटा रास्ता चुना। हमारी परीक्षा होने वाली थी। कुछ लोग आगे चल दिए हम तीन लोग पीछे अपने पेस से जा रहे थे। रेलवे ट्रैक के आजूबाजू नुकीले पत्थर होने से मैं ट्रैक मे चल रही थी। थोड़ी देर बाद एक ही पैटर्न में चलने की वजह से दिमाग घूम गया। मैंने रेलवे के पटरीया गिनना शुरू किया। जैस्मिन के पांव जवाब दे रहे थे। थोड़ी देर बाद मैने अलग अलग तरीके से चलने की कोशिश की, कभी वापिस गिनती, कभी नुकीले पत्थर पर चलने और न जाने क्या क्या किया ताकि रास्ता कट सके। बाद में पता चला हम करीब 5 किमी इस तरह चल रहे थे जहां दूर दूर मंजिल दिखाई नहीं दे रही थी। मैं जंगल की ट्रैक मिस कर रही थी, वहां के पत्थर वहां झरने का पानी और घनी छांव सफर आसान कर रही थी। खैर करीब 3:40 बजे रेलवे की पटरी से हम नीचे उतरे क्योंकि आगे कुछ पुलिस खड़ी थी। हम कुदरत का आभार मान रहे थे की जंगल में वापसी हुई। आधे घंटे से भी कम समय में हम बहार आ गए। सब एकदूसरे से अलविदा कहके अपने अपने गंतव्य को निकले।
हम वापिस मडगांव आने ट्रेन पकड़े। ट्रेन में ही मैने ये ब्लॉग लिखा था। मेरे लिए हमेशा गंतव्य से ज्यादा महत्व सफर रखता है। सफर में आने वाली चुनौतियां, वो सब जो नॉर्मल नहीं लगता, जो अलग होता है, जहां ऑप्शन एक ही होता वो की कुछ भी हो जाए आगे बढ़ना है, ब्रेक लेकर ही सही पर बिना निराश हुए, बिना हार माने, खुद पर विश्वास रखके की होगा, असहजता मे भी बिना खुद पर या दूसरे पे चिढ़े चीजों को नॉर्मल लेने का प्रयास होता है ऐसे सफर। प्रकृति अगर कष्ट देती हैं तो खुद महरम भी लगाती है, बस एक मौका देने की जरूरत होती है, सब कुछ कंट्रोल करने की चाह छोड़ना और अपनी समज से परे जो शक्ति हैं उसे काम करने देने से चीज़ें कभी कभी आसान हो जाती है। बहुत हो गई फिलोसॉफी बाकी की सीख अगले ट्रैवल ब्लॉग में। अंत में इतना ही की ट्रैक का लेवल आसान था, प्रकृति प्रेमी लोगों के लिए अनुभव करने लायक हो सकता है, अभी बेस्ट टाइम है।
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