वो सर्द की महक

 

वो सर्द की महक और हवा का हौले हौले बहना ,
दिल के कोने में मची हलचल, 
और चहेरे पे जूठी मुस्कान ,
लोग यहाँ फिरते हैं लगाए कई मोहरे , 
कही तो कोई मिल जाये लिए असली सीरत  ,
वक्त का रुख बदले भी ऐसे कभी  ,
सब सही, हम सही लगे भी कभी ,
जीवन अर्थपूर्ण बनाये भी कभी , 
दर्द के विचार व्यर्थ लगे भी कभी ,
जो भी मिला हैं उसे सहजता से स्वीकारे भी कभी, 
जो नहीं मिला हैं उसके बिना खुद को संभाले भी कभी ,
अपने चारोओर खुशहाली बिखेरे भी कभी ,
कुछ लोगो को ही सही ,दुःख से उबारे भी कभी ,
विषम परिस्थितिओ  धैर्य धारण करे भी कभी ,
चंचल मन की व्यग्रता दूर करे भी कभी ,
भुत भविष्य के नियंत्रण से बचे भी कभी,
वर्त्तमान को न्याय देकर जिए भी कभी 

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